Tuesday 23 July 2013

तुम......!!!

तुम
कभी चट्टान का सीना
कभी दो बाँहों की गुड़िया
कभी सवालों की बोझिल सांझ
कभी इतराती गुनगुनी सुबह …. !

तुम
कभी अंतहीन ख़ामोशी
कभी चीखती लहरें
कभी अहिल्या सी निश्चल
कभी नदी सा बदलाव.....!

तुम
कभी सूनी चौखट
कभी चुभती शेहनाई
कभी ढहती दीवारें
कभी नींव की पहली ईंट....!

तुम
कभी शब्द
कभी अर्थ
कभी मैं
कभी तुम
कभी शून्य
कभी रिक्त
तुम …… !!