tag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post9078338438456010708..comments2023-09-02T04:20:40.309-07:00Comments on सागर: एक पाती.... जो भावो के सागर से बह शब्दों के बाजार में उतर गयी....!!!सागरhttp://www.blogger.com/profile/04586480950461229346noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-68670935565575365082011-07-21T21:44:38.832-07:002011-07-21T21:44:38.832-07:00सागर जी ! नि:शब्द कर दिया आपने. अब तो आपकी सभी पुर...सागर जी ! नि:शब्द कर दिया आपने. अब तो आपकी सभी पुरानी पोस्ट पढ़नी ही पड़ेगी.सागर जैसी ही रचना है , जिसकी हर लहर में नवीनता दिखी. गहराई भी,हिलोरें भी,ज्वार-भाटा और दावानल भी.<br />वाह ! वाह !! वाह !!!अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-86263962492346194332011-07-21T19:31:05.445-07:002011-07-21T19:31:05.445-07:00मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर...मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-9734703626634300252011-07-21T19:30:03.373-07:002011-07-21T19:30:03.373-07:00कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना ज...कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-65106757876214026552011-07-21T18:41:32.495-07:002011-07-21T18:41:32.495-07:00बहुत सुंदर कविता बधाई भाई सागर जीबहुत सुंदर कविता बधाई भाई सागर जीजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-16809820735796993142011-07-21T03:25:28.771-07:002011-07-21T03:25:28.771-07:00तुम देख रहीं जो आँखोँ से,
वो सारे सपने मेरे हैं,
...तुम देख रहीं जो आँखोँ से,<br />वो सारे सपने मेरे हैं, <br />तुम सात कदम जो साथ चली,<br />वो सात जनम के फेरे हैं,<br />जो लहू टपकता आँखोँ से,<br />वो मांग तुम्हारी भरता हैं,<br />उस माथे की बिँदी का कुमकुम,<br />मेरे होठोँ पर मिलता हैं,<br />तेरे हाथोँ पर चटक चढ़ीं,<br />मेरे हाथोँ की रेखायेँ,<br />तेरे कदमोँ से छप जाती,<br />मेरे जीवन की आशायेँ....!<br />बहुत भावपूर्ण .ह्रदय की गहराइयों को छूती रचना.बधाई आशीष जीShalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-78299529142679084302011-07-17T22:33:22.140-07:002011-07-17T22:33:22.140-07:00बेहद खूबसूरत रचना है.
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कल 19/07/2011 क...बेहद खूबसूरत रचना है.<br />------------<br />कल 19/07/2011 को आपकी एक पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद!Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6033565802198575612.post-55248732352516058062011-07-17T09:15:37.866-07:002011-07-17T09:15:37.866-07:00बहुत खुबसूरत.. हर शब्द जैसे अभी बोल उठंगे... हर एह...बहुत खुबसूरत.. हर शब्द जैसे अभी बोल उठंगे... हर एहसास, हर भावो, जहाँ तक कवि पहुँच सकता है ... उससे भी कही दूर तक जा कर आपने..... इस रचना को रच दिया है... !!विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.com