कब तलक तन्हाईयों में बैठकर रोता रहेगा ?
कब तलक अश्कों से उनके अक्स को धोता रहेगा ?
कब तलक ये ज़िन्दगी यूँ ही गुज़ारेगा अकेला ?
देखने में स्वप्न उसका , कब तलक सोता रहेगा ?
कब तलक नफरत करेगा रेत से " सागर " की ख़ातिर ?
कब तलक सूना रहेगा यूँ तुम्हारे दिल का मंदिर ?
कब तलक खोया रहेगा शून्य की गहराईयों में ?
ढूंढता उसको रहेगा कब तलक तू ऐ मुसाफिर ?
कब तलक तोड़ेगा तू इन आईनों को ?
एक टुकड़ा भी तुझे प्रतिरूप देगा ,
ज़िन्दगी खिल जाएगी इक फूल जैसी ,
ग़र अंधेरों से निकलकर धूप देगा !!
क्यूँ समझता है नहीं तू बात मेरी ?
जब तलक इक सांस है जीना पड़ेगा ,
प्यार ही मिलता नहीं है हर क़दम पर ,
दर्द-ए-दिल का जाम भी पीना पड़ेगा !!
है सहारा ग़र नहीं तेरा जहाँ में ,
बन सहारा पंगु को तू चाल दे दे ,
देखता रह जाये ये सारा ज़माना ,
इस तरह दुःख दर्द को सुर-ताल दे दे !!
हार कर बैठा रहेगा कब तलक यूँ ?
मोड़ दे हर राह को अपने क़दम से ,
हर शब्द तेरा शायरी बन जायेगा फिर ,
देख तो लिख करके तू दिल की कलम से,,,....!!
देख तो लिख करके तू..................
" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें. www.upkhabar.in
ReplyDeletei am very happy for you that continuously start writing.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखते हैं आप.
ReplyDeleteसादर