मेरे दोस्त, मेरे अनमोल तोहफ़े..!!!
बैठा मैं सोचता हूँ,
कब से उदास यूँ ,
जो खुद है मेरा तोहफ़ा
उसे तोहफ़ा क्या दूँ?
मेरी ख़ुशी नज़र उसे,
मेरी उम्र भी नज़र
कुछ और दे ख़ुदा
जो उसे नज़र मैं करूँ
हैरां हुआ ख़ुदा भी,
ये सुन कर दुआ मेरी,
बोला- जहाँ उसी को दिया जिस पर निसार तू ....
सागर जी बहुत सुंदर कविता। बधाई।
ReplyDeleteसच ! एक सच्चा दोस्त अनमोल तोहफे से कम नहीं होता है..सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सागर जी,,,
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये....
दोस्ती को समर्पित सुंदर रचना . आपको मित्रता दिवस की शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत खूब ... दोस्ती हो तो ऐसी ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeletedosti se behtar aur kya ...
ReplyDeleteSagar Ji..mitra diwas ko ek saprim bhent hai aapaki rachana..aabhar
ReplyDeleteLajwaab kavita.....bdhai
ReplyDeletejai hind jai bharatLajwaab kavita.....bdhai
jai hind jai bharat
बहुत सुन्दर रचना ......शुभकामनाये !
ReplyDeleteमुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
ReplyDeleteआज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
बहुत खूबसूरत रचना...
ReplyDeletewell said
ReplyDeleteमित्रता यही तो है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !
Sunder sabdo me khubsuerti se bayan ker diye aapne dosti ke mayne ...........badhai
ReplyDeletebahut sundar rachna dost ji :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeletebeautiful...........!
ReplyDeleteमुबारक दोस्ती।
ReplyDeletebahut sundar rachna, aabhar.
ReplyDeletewaah bahut sundar....dosti se badhkar kuchh nahi....
ReplyDeleteक्या बात है ... सब कुछ उसी को देना .... गज़ब का प्रेम है ... गहरा एहसास लिए ...
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