Friday 20 February 2015

प्रेम के गीत कुछ...!!

प्रेम के गीत कुछ, शब्द में ढल गये..
प्राण चेतन हुये,तन रतन हो गये, 
रूह इक थाल में,द्वार पर रख गया,
जल उठे सब दिये,जागरन हो गये..

सांझ तक प्रश्न ही प्रश्न थी ज़िन्दगी,
एक उत्तर उगा,सब निरुत्तर हुये,
न विजय शेष थी,न पराजय बची,
सप्तस्वर भी मिटे,रिक्त अक्षर हुये..

तुम उतरते गये,तुम ही तुम रह गये,
तुम ही पूजन हुये,तुम भजन हो गये..

फिर उठा मौन का ज्वार,सागर मथा,
तुम गहन हो गये,तुम गहनतम् हुये,
बज उठा नाद अनहद,प्रभा खिल उठी,
तुम ही प्रेमी हुये,तुम ही प्रियतम हुये..

फिर चले तुम गये,दीप से ज्योति से,
आगमन न रहे, न गमन हो गये....!!