प्रिय साथियों ,
पहले तो मैं आप सबका शुक्रगुजार हूँ कि मेरा ब्लॉग इतने दिनों तक विचार शून्य था किन्तु आप सबने मेरे प्रति अपने अगाध स्नेह को बनाये रखा और इससे जुड़े रहे I संभवतः मैं आप सबके इतने स्नेह का पात्र नही था तभी तो मैंने स्वयं को अब तक इससे वंचित रखा I किन्तु एक बार फिर आपका स्नेहाकान्छी होकर उपस्थित हूँ और याचना करता हूँ कि मेरी इस भूल को तुच्छ समझकर क्षमा कर देंगे और अपने ह्रदय में पुनः मुझे स्थान देंगे I दरअसल कुछ बढ़ी हुयी जिम्मेदारियों और दायित्वों के बीच मैं साहित्य प्रेम से न्याय नही कर पाया, किन्तु मैं भलीभांति अवगत हूँ कि रचनाकार साहित्य जगत का आजीवन ऋणी होता है , उसे अपने साहित्य धर्म से विलग होने का अधिकार नहीं होता I अतः मैं पुनः अपने इसी धर्म के परिपालन के लिए उपस्थित हूँ , किन्तु यह आप सबके प्रेम और आशीर्वाद के बिना संभव नही होगा I
आपका स्नेहाकांक्षी I
ग़म -ए-फ़िराक़ में जो मुझको तर-बतर कर दे
मेरे मौला मुझे वो इश्क़ तू नज़र कर दे
कोई फ़रेबी शमाँ फिर न मुझे पिघलाए
मेरे वजूद को तू मोम का पत्थर कर दे
मेरा गुमनामियों का शौक़ बना रहने दे
ये शोहरतों का नशा ,मुझपे बेअसर कर दे
मिली मंज़िल तो पाया इसमे कोई प्यास नही
मेरे मौला मुझे तू फिर से इक सफ़र कर दे
तेरे हक़ूक में तारीकी अता हो ' सागर '
किसी ग़रीब की शामों को तू सहर कर दे
सुस्वागत सागर तुम्हारा ...पुन: शुरुवात बहुत सुन्दर रचना से किया है....शुभकामनाएं
ReplyDeleteWelcome
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2. न मंज़िल हूँ न मंज़िल आशना हूँ
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल.....
ReplyDeleteबेहतरीन गजल के साथ वापसी..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया..
स्वागत है आपका...
:-) :-) :-) :-) :-) :-)
achchha laga bhaai, tumko yahan dubaara dekh kar.....
ReplyDeletemost welcome with nice presentation..प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
ReplyDeletekhubsurat gazal ke sath shaandar vapisi.....
ReplyDeleteकोई फ़रेबी शमाँ फिर न मुझे पिघलाए
ReplyDeleteमेरे वजूद को तू मोम का पत्थर कर दे
आप गये ही कब थे ?
अच्छा लगा आशीष भाई (मेरे ब्लॉग गुरु )वापस
ReplyDeleteदेखकर , अच्छी गज़लें फिर मिलेंगी पढ़ने को ,वापस
ब्लॉग पर स्वागत है ।
शानदार वापसी......सुस्वागतम्......
ReplyDeleteतेरे हक़ूक में तारीकी अता हो ' सागर '
किसी ग़रीब की शामों को तू सहर कर दे
आमीन !!!! हम भी कुछ मांग लेते है......
फिर न जाये कही ये ब्लॉग को सूना करके
मेरे सागर को यहाँ फिर से रेग्युलर कर दे .........